शनिवार, 24 सितंबर 2011




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अखाराम जी दादोजी की जीवनी

आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि मै आपको एक ऐसी धाम के बारे मे अवगत कराने जा रहा हुँ जहाँ पर आने वाले हर भक्त की मनोकामना श्री अखारामजी दादोजी की कृपा से पुर्ण होती है ।काफी वर्ष पहले परसनेऊ गांव मेँ श्री अखारामजी महाराज का जन्म पलोङ परिवार दाधीच वंश मेँ पिता श्री हरजी राम जी एवं माताश्री सुखी बाई के घर मेँ भादवा बदी पंचमी के शुभ दिन हुआ । बाल्यकाल मेँ ही वे हनुमानजी महाराज की सेवा करने लगे । उसी समय मे श्री मोहनदासजी महाराज (सालासर) , श्री राघवदासजी महाराज (मीरण) , श्री केशवदासजी महाराज (सारङी) आदि महान सन्त हुये व श्री हनुमानजी महाराज की भक्ति करके जनहित मेँ वरदान व सिद्धियां प्राप्त की । भक्त शिरोमणि श्री दादाजी अखारामजी महाराज परसनेऊ गांव के पास ही नाडिया (तालाब) के समीप कैर व कमुठोँ के पास श्री बालाजी महाराज की धुणी रमाते एवं गायेँ चरातेँ थे ।श्रीदादोजी महाराज को गाँव के नागरिक गुंगीया (भोला) कहकर पुकारते थे । श्री रामभक्त श्री हनुमान जी महाराज ने श्री दादाजी महाराज की भक्ति से प्रसन्न होकर वहीँ पर उन्हेँ प्रथम दर्शन दिये । वरदान स्वरुप श्री दादाजी महाराज को वचन सिद्धि प्रदान की । सर्प आदि के जहर व भुतप्रेत आदि के प्रभाव से मुक्ति के लिये भभूति व कलवाणी रुपी औषध का वरदान दिया जिससे आज भी वहां भक्तोँ के दुःख क्षणभर मेँ कट जाते हैँ । कुछ ही समय पश्चात दङिबा गांव की काँकङ मेँ एक कुम्हार के खेत मेँ श्री बालाजी महाराज की मुर्ति निकली । कुम्हार को आकाशवाणी के द्वारा बताया गया की ' इस मुर्त को तुम बैलगाङी मेँ ले चलो जहाँ गाङी रुकेगी वही पर इस मुर्ति की स्थापना होगी ' वह बैलगाङी सिद्धपीठ धाम परसनेऊ मेँ आकर रुकी । वह मुर्ति आज भी स्थित हैँ । इधर भक्त शिरोमणी श्री दादाजी महाराज ने काफी समय श्री हनुमान भक्ति व जनसेवा करने के पश्चात समाधि लेने का निश्चय किया व कार्तिक बदी पंचमी के दिन श्री बालाजी महाराज की आज्ञा लेकर उन्ही की उपस्थिति मेँ प्रभुनाम स्मरण करते हुए ईश्वर मेँ लीन हो गये ।परसनेऊ धाम मेँ उनके समाधि स्थल पर एक गुमटी बना दी गई जो आज एक विशाल मन्दिर का रुप धारण कर चुकी हैँ । श्री दादाजी महाराज का चीमटा और खङाऊँ आज भी दर्शनार्थ मन्दिर मेँ रखे हुये हैँ । श्री दादाजी महाराज के जन्म दिवस भादवा बदी पंचमी एवमं आसोज माह मेँ श्राद्ध (आसोज बदी पंचमी) पंचमी पर परसनेऊ धाम मेँ भव्य मेलोँ का आयोजन होता हैँ । श्री दादाजी महाराज की कृपा से सांप ,गोह (गोयरा) द्वारा डसे गये गम्भीर से गम्भीर रोगी मात्र श्री दादाजी महाराज की कलवाणी पीने से ठीक हो जाते हैँ। श्री दादाजी महाराज की मात्र तांती बांधने से अनेक बिमारीयो से छुटकारा मिलता हैँ । श्री दादाजी महाराज के मन्दिर के पास ही जिऊ बाई के द्वारा लगाया गया बैर का पेङ जो आज भी मौजुद हैँ जिसका एक पत्ता मात्र खाने से काली खांसी एवमं पेट के असाध्य रोगो मे लाभ मिलता हैँ । श्री दादाजी महाराज के श्राद्ध के प्रसाद(लापसी) की ऐसी मान्यता हैँ की अगर जरा भी लापसी का प्रसाद खाने को मिल जाये तो 12 मास व्यक्ति रोगो से दुर रहता हैँ । श्री दादाजी महाराज गायेँ चराते थे एवमं गरीबो ,निशक्तो एवमं कमजोरो के दास थे । उनके पद चिन्हो पर चलते हुऐ गाँव मेँ 'अक्षय कृष्ण गौशाला ' एवमं 'दादा अक्षय विकलांग सेवा संस्थान परसनेऊ ' सुचारु रुप चल रही हैँ । परसनेऊ धाम रतनगढ-बीकानेर हाईवे व रेल मार्ग पर स्थित हैँ ।छापर से वाया राजलदेसर व बिदासर से सीधा सङक मार्ग परसनेऊ जाता हैँ । ठहरने के लिये धर्मशाला व जल आदि की उत्तम व्यवस्था हैँ । आपसे विनम्र प्रार्थना हैँ कि सपरिवार सिद्धपीठ परसनेऊ धाम पधार कर अपनी मनोकामनाएँ पूर्ण करेँ व श्री दादाजी अखाराम जी महाराज द्वारा चलाई भक्ति की पावन धारा को आगे चलायेँ । लिखने मेँ हुई समस्त भुलोँ के लिये श्री अखाराम जी दादाजी महाराज व आप सभी भक्तगण मुझे क्षमा करेँ । जय श्री अखाराम जी दादोजी महाराज की जय हो